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सोऽहम् मंत्र का उपयोग

मंत्र के रूप में, सोऽहम् का लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का प्राथमिक उद्देश्य है क्योंकि यह जो ध्वनि बनाता है वह सांस लेने की आवाज की तरह है और हर इंसान को सांस लेनी चाहिए। यह स्वीकार करता है कि हम सभी की प्रकृति, जीवन शक्ति, निर्माता और उत्पत्ति समान है। मंत्र का … Continue reading "सोऽहम् मंत्र का उपयोग" ...

वासुपूज्य भगवान की आरती

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी । पंचकल्याणक अधिपति (२), तुम अन्तरयामी ॥ ॐ जय वासुपूज्य स्वामी चंपापुर नगरी भी धन्य हुई तुमसे स्वामी धन्य। जयराम वासुपूज्य (२), मात पिता हर्षे।। ॐ जय वासुपूज्य स्वामी बाल ब्रह्मचारी बन, महाव्रत को धारा । (२) प्रथम बालयति जग ने (२), तुमको स्वीकारा ॥ … Continue reading "वासुपूज्य भगवान की आरती" ...

ब्रह्मा जी कि आरती

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,तुम ही एक नाथ हमारे हो।जिनके कुछ और आधार नहीं,तिनके तुम ही रखवारे हो ।सब भॉति सदा सुखदायक हो,दुख निर्गुण नाशन हरे हो ।प्रतिपाल करे सारे जग को,अतिशय करुणा उर धारे हो ।भूल गये हैं हम तो तुमको,तुम तो हमरी सुधि नहिं बिसारे हो ।उपकारन को कछु अंत नहीं,छिन्न ही छिन्न … Continue reading "ब्रह्मा जी कि आरती" ...
कनकधारा स्तोत्रम्

कनकधारा स्तोत्रम्

1 》अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालमअंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया 2 》मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानिमाला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया 3 》विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपिईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय 4 》आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया 5 》बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभातिकामप्रदा … Continue reading "कनकधारा स्तोत्रम्" ...
श्री व्यंकटेश आरती(विज्ञापन के बिना)

श्री व्यंकटेश आरती(विज्ञापन के बिना)

शेषचल अवतार तारक तू देवासुरवर मुनिवर भावे कृति जन सेवा ||कमला रमण अस्सी असंख्य अंक रखेंकमलाक्ष माज रक्षिणी सतवर वर दयाव || 1 ||जय देव जय देव जय वेंकटेश |केवल करुणासिंधु पूर्वी आशा || धृ. ||हे निजवैकुंठ महनुनी ध्यानों में तू तेनदखविसी गुना कैसे सकल लोकते ||देखुनी तुझे स्वरूप सुख अदभुत होतेध्यात तुझला श्रीपति द्रध … Continue reading "श्री व्यंकटेश आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
कुबेर जी की आरती(विज्ञापन के बिना)

कुबेर जी की आरती(विज्ञापन के बिना)

ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे |शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे,|| ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे || शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े |दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े |||| ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे || स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे,स्वामी सिर पर छत्र … Continue reading "कुबेर जी की आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
तुलसी माता की आरती(विज्ञापन के बिना)

तुलसी माता की आरती(विज्ञापन के बिना)

जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता |सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता||मैया जय तुलसी माता|| सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर|रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता|मैया जय तुलसी माता|| बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या|विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता|मैया जय तुलसी माता|| हरि … Continue reading "तुलसी माता की आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
श्री नरसिंह की आरती(विज्ञापन के बिना)

श्री नरसिंह की आरती(विज्ञापन के बिना)

ओम जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे |स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,जनका ताप हरे || || ओम जय नरसिंह हरे || तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी,प्रभु भक्तन हितकारी |अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर,प्रकटे भय हारी || || ओम जय नरसिंह हरे || सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी,प्रभु दुस्यु जियो … Continue reading "श्री नरसिंह की आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
गंगा मैया आरती(विज्ञापन के बिना)

गंगा मैया आरती(विज्ञापन के बिना)

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता |जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता || पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता |कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता |||| ॐ जय गंगे माता..|| एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता |यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता |||| ॐ जय गंगे माता..|| आरती … Continue reading "गंगा मैया आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
शिवजी की आरती(विज्ञापन के बिना)

शिवजी की आरती(विज्ञापन के बिना)

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा |ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ||||ॐ जय शिव ओंकारा|| एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे |हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ||||ॐ जय शिव ओंकारा|| दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे |त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ||||ॐ जय शिव ओंकारा..|| अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥||ॐ जय … Continue reading "शिवजी की आरती(विज्ञापन के बिना)" ...
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