हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा और प्रसिद्ध मंत्र गायत्री मंत्र माना जाता है। गायत्री मंत्र पूजा का सिर्फ एक साधन नहीं है बल्कि यह अपने आप में ही प्रभु की आराधना का माध्यम है। गायत्री मंत्र, इस समस्त ब्रह्मांड और समस्त व्याप्त जीवित जगत के कल्याण सबससे बड़ा स्रोत हैं। ये ‘मंत्र’ एक ऐसा मंत्र हैं जिसकी उपासना स्वंय देवता भी करते हैं। जिसके गुनो का वर्णन करना वेदों और शास्त्रो मे भी संभव नही हैं।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात॥
गायत्री मंत्र का अर्थ
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण- ्यं = सबसे उत्तम
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
गायत्री मंत्र के फायदे
हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है। गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे: मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज़ होती है। विद्यार्थीयो के लिए इस मंत्र का उच्चारण अति आवश्यक हैं. इससे बुद्धि और याद होने की क्षमता बढ़ती हैं।