भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं। बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। हर शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान गणेश को कई नामों से पुकारा जाता है। गजानन, विघ्नहर्ता, गणपति, लंबोदर के नाम से भी जाने जाते है।
भगवान गणेश जी को विघ्नों को हरने वाले एवं बुद्धि और यश प्रदान करने वाले देवता कहा जाता है।
भगवान गणेश की पूजा करते हुए भगवान गणेश जी की आरती और चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
पूजा करते समय अगर भगवान गणेश का स्त्रोत पढ़ा जाए तो भगवान अति प्रसन्न होते हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का वर्णन नारद पुराण में मिलता है। ऐसा माना जाता है की इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। गणेश जी के स्तुति मंत्रों का जाप करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
एक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री गणेश की पूजा करने से कोई भी दुख-दरिद्रता कभी नहीं आती हैं।गणेशजी निराकार दिव्यता हैं जो भक्त के उपकार हेतु एक अलौकिक आकार में स्थापित हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति गणेशजी की स्तुति नियमित रूप से करता है उसकी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
गणेश स्तुति – श्लोक
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् |
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||
गणेश स्तुति ध्यान मंत्र
ओम सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।
गणेश स्तुति मूल-पाठ
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
भगवान गणेश की वंदना आरती
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
गणेश स्तुति
गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥
मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥
मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥