माता वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े इन रहस्यों के बारे में कितना जानते हैं आप?


वैष्णो देवी मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय और माने जाने वाले धार्मिक मंदिरों में एक है। जम्मू में त्रिकुटा पहाड़ियों में मौजूद वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए यहां हर साल लाखों लोग आते हैं। लेकिन नवरात्रों में लाखों की संख्या करोड़ों में भी बदल जाती है

वैष्णो देवी मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय और माने जाने वाले धार्मिक मंदिरों में एक है। जम्मू में त्रिकुटा पहाड़ियों में मौजूद वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए यहां हर साल लाखों लोग आते हैं। लेकिन नवरात्रों में लाखों की संख्या करोड़ों में भी बदल जाती है। ऐसा माना जाता है कि माता वैष्णो देवी ने रावण के खिलाफ भगवान राम की जीत के लिए प्रार्थना करते हुए नौ दिनों का उपवास ‘नवरात्र’ किया था। मंदिर 5200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए आपको कटरा से लगभग 13 किमी दूर ट्रेकिंग करनी पड़ती है। चलिए आपको इस लेख में वैष्णो देवी से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स बताते हैं।

जानें क्यों कहते हैं इसे गर्भजून गुफा

ऐसी मान्यता है कि माता ने इस गुफा में नौ महीने बिताए थे, ठीक वैसे ही जैसे कोई शिशु अपनी मां के गर्भ में रहता है। यहां मां वैष्णो देवी 9 महीने तक भैरो नाथ से छिपी रही थी। इसी वजह से इसे गर्भजून गुफा कहा जाता है और वर्षों से यह माना जाता रहा है कि जो महिलाएं इस गुफा में प्रवेश करती हैं उन्हें प्रसव के दौरान कभी कोई समस्या नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कराने वाले पंडित श्रीधर को बच्ची के रूप में प्रकट हुई मां वैष्णो देवी ने स्‍वयं इस गुफा के बारे में बताया था।

एक अरब साल पुरानी गुफाएं

हालांकि, दिव्य गुफाओं को बहुत से जांचकर्ताओं को दिखाया गया है जिससे पता चला है कि गुफा दस लाख वर्ष पुरानी है, जब से तीर्थयात्रियों ने वैष्णो देवी की यात्रा शुरू की थी।

गुफा में मौजूद है भैरों का शरीर 

कथा के अनुसार जब मां वैष्णो देवी ने भैरो का वध किया था तब उनका शरीर इसी गुफा में रह गया था और सिर घाटी में जा गिरा था। कहते हैं कि इस गुफा में आज भी भैरो का शरीर मौजूद है।

दिव्य स्थान या शक्ति पीठ 

वैष्णो देवी को सभी स्थानों (शक्तिपीठ) में सबसे दिव्य माना जाता है। इस बात के प्रमाण मिले हैं कि माता सती का मस्तिष्क इसी स्थान पर गिरा था।

नई गुफाओं का निर्माण 

वैष्णो देवी में तीन अलग-अलग प्रमुख गुफाएं हैं, पुरानी गुफा साल के अधिकांश महीनों में बंद रहती है, वो इसलिए क्योंकि ये यूनीक गुफा बहुत पतली है और तीर्थयात्रियों को इसे पार करने में काफी समय लगता है। दो गुफाएं आर्टिफिशियल हैं, जो आपको मुख्य मंदिर में रखी तीन पिंडियों तक ले जाती है।

आरती, पूजन और प्रसाद की परंपरा

मंदिर में सुबह शाम दुर्गा देवी की आरती की जाती है। आरती से पहले माता को पानी, दूध, घी और शहर से नहलाया जाता है। फिर साड़ी और गहनों से उनका श्रृंगार किया जाता है। इन सबके बीच मंत्रों और शोलोकों का उच्चारण भी होता है। पहले पुजारी गुफा के अंदर पूजा करते हैं और फिर उसके बाद गुफा के बाहर बैठे भक्तों को आरती दी जाती है। आरती पूरी हो जाने के बाद उन्हें भोग प्रसाद भी दिया जाता है

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